हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने अगले डेढ़ साल में हिमाचल को आवारा पशुओं से मुक्त करने की योजना बनाई है। हिमाचल में पंजीकृत एक गैर-लाभकारी समाज, हिमा गौ संरक्षण समिति, इस प्रयास में सरकार का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हमारी गौशाला, डॉ यशवंत सिंह परमार गोसदन, का नाम हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार के नाम पर रखा गया है। इस गौशाला में अब 85 आवारा मवेशी हैं, और हम अगले कुछ दिनों में इस संख्या को 200 तक ले जाने का लक्ष्य रखते हैं।
हमारे प्रेजिडेंट डॉ राजेंदर अत्री का यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में स्थित है।
हमारी गौशाला अद्वितीय है, क्यूंकि जानवरों को परिसर के भीतर बांधने के बजाय, हमने उन्हें आस-पास की भूमि में मुक्त घूमने देते हैं। जानवर दिन के दौरान चरने के लिए जाते हैं, और पेट भरने पर, शाम के करीब आते ही अंदर लौट आते हैं। इन जानवरों को अपना जीवन खुल के जीने का मौका मिल रहा है।
हमें इस परियोजना में अत्री बायो प्रोडक्ट्स एंड सर्विसेज द्वारा सहायता मिल रही है। यह शिमला आधारित स्टार्टअप हमें अपनी गौशाला का प्रबंधन करने के लिए तकनीक-सेवाएँ प्रदान कर रहा है, और साथ ही हमारी ऑनलाइन उपस्थिति को स्थापित करने में भी हमारी मदद कर रहा है।
हम आपको ये सब क्यों बता रहे हैं?
इस तरह परियोजना चलाना महंगा कार्य है, और हमें हर संभव मदद की आवश्यकता है। यदि आप दान करना चाहते हैं, तो वो आप इस वेबसाइट पर सुरक्षित रूप से कर सकते हैं।
दान की जानकारी
हिम गौ संरक्षण समीती एक पंजीकृत गैर-लाभकारी समिति है। हमारी समीती रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज, हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ पंजीकृत है। हमारा पंजीकरण नंबर 1389/2020 है।
हमारी गौशाला हिमाचल प्रदेश गोवंश संवर्धन बोर्ड, हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ पंजीकृत है। हमारी गौशाला की पंजीकरण संख्या 115 है। आपके दान पर कर छूट नहीं है।
आपका दान PayU के सुरक्षित पेमेंट गेटवे के माध्यम से संसाधित किया जाएगा। आपसे कोई भी लेनदेन शुल्क नहीं लिया जाएगा।